हाडा वंश की बूंदी रियासत को आखिर क्यों सती का श्राप लगा और आज भी बूंदी क्यों सती के श्राप से ग्रसित है, आइये इसकी पूरी कहानी हम जानते है।
राजस्थान की बूंदी रियासत इस रियासत में स्थित तारागढ़ की चमक बूंदी शहर की खूबसूरती में चार चाँद लगाती है, बारिश के मौसम में यह शहर काफी खूबसूरत लगता है।
लेकिन यह खूबसूरत सा नज़र आने वाला यह शहर एक ऐसे श्राप से ग्रसित है, जिसके असर से यहां के निवासी आज तक उभर नहीं पाए है, इस रियासत को किसने श्राप दिया और क्यों इस के पीछे एक प्राचीन कहानी प्रचलित है।
जो आज भी यहां के बड़े बुजुर्गो को जुबानी याद है। ऐसा मना जाता है, बूंदी में कही सालो तक हाडा वंश के शासको ने ही राज किया कहा जाता है, जब बूंदी पे राजा उमेद सींग हाडा का साम्राज्य था। तब इस रियासत के दीवान मोहन जी दा भाई हुआ करते थे।
बताया जाता है की एक बार राजा उमेद सींग दिल्ली आये तब उन्हें वृत्तये संकट का सामना करना पड़गया उस बीच, उन्होंने बूंदी में अपने दीवान के पास एक संदेशा भिजवाया की उन्हें कुछ मुद्राएं और मोहोरे तत्काल प्रभाव से दिल्ली भेजदीजाये दीवान को अपने राजा का संदेशा मिल गया।
और उन्होंने इसका पालन भी किया लेकिन दीवान को डर था, की कही रास्ते में कोई इन मुद्राओ को लूट ना ले और इसी डर की वजह से दीवान से मुद्राओ को लकड़ी के बांस के अंदर सोने चांदी के सिक्के भरे और बांस को चारों और से बंद कर दिया।
और बेल गाड़ी पे लाद के दिल्ली की और रवाना कर दिया, लेकिन जब यह सोने चांदी के सिक्कों से भरी गाड़ी राजा को मिली तब राजा को बहुत गुस्सा आया, की मेने तो मुद्राएं मँगवाई थी, यह लकड़ी के बांस क्यों भिजवा दिए। इसके बाद राजा के आदेश पे दीवान को शूली पर लटका दिया गया ।
लेकिन जब राजा को सच्चाई का पता चला तब राजा को बहुत अफ़सोस हुआ लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। सती होने से पहले दीवान की दोनों पत्नियों ने बूंदी को यह श्राप दिया की यहां ईमानदार लोग हमेशा परेशान रहेंगे जबकि बेईमान लोग हमेशा खूब फूलेंगे फलेंगे।
एक गलत फेमि में आके राजा ने उसके दीवान की जान लेली।
और दीवान की दोनों पत्नियां उनकी चिता के साथ सती हो गई लेकिन उस वक्त सती होने से पहले उन्होंने बूंदी को जो श्राप दिया था। उसका असर आज भी यहां देखने को मिलता है। यह थी बूंदी के तारागढ़ रियासत की अनसुनी कहानी।